ना समीक्षा से न परीक्षा से ईश्वर मिलते हैं तो बस प्रतीक्षा से-अवधेश नंदन मिश्र

रिपोर्ट-संदीप कुमार जीतू

मैगलगंज खीरी । विकास खंड पसगवां के बाईकुआं ग्राम में चल रही श्री लक्ष्मी नारायण विष्णु महायज्ञ में तपोभूमि नैमिषारण्य से पधारे परम विद्वान पं.अवधेश नंदन मिश्रा अनुभवी ने श्री रामचरितमानस के अनुसार सती जी का प्रसंग सुनाया । एक बार शिव सती जी के सहित कुंभज ऋषि के आश्रम पर राम कथा श्रवण करने गए आश्रम से लौट रहे शिव ने सीता के वियोग में शोकाकुल राम को प्रणाम किया जिससे सती को भ्रम हो गया भगवान शिव मानव राम को प्रणाम कर रहे हैं ऐसा क्यों सती ने राम जी की परीक्षा सीता बनके ली ।सती को देख राम बोले माता आप अकेले शिव जी कहां है जिससे सती जी को भी राम के ईश्वर होने का बोध हो गया सती जी शिव जी के पास आईं शिवजी के पूछने पर बोली प्रभु मैंने कोई परीक्षा नहीं ली शिव जी ने सब जान लिया कि सती झूठ बोल रही हैं। शिव जी ने सती का त्याग कर दिया । उसी वियोग में पिता की यज्ञ में सती जी ने अपने शरीर को हवन कुंड में जला दिया ।इससे यह शिक्षा मिलती है कि प्रभु ना तो समीक्षा से मिलते हैं समीक्षा किसने की शूर्पणखा ने पंचवटी गई और राम जी से बोली तुम सम पुरुष न मो सम नारी अर्थात संसार में तुम्हारे सामान कोई दूसरा पुरुष नहीं है और मेरे समान दूसरी  स्त्री नहीं है। भगवान से बराबरी कर बैठी ।भगवान नहीं मिले ।और सती जी ने शिव के मना करने के बाद भी भगवान राम की परीक्षा ली। भगवान नहीं मिले माता शबरी ने भगवान की प्रतीक्षा की भगवान राम सीता लक्ष्मण सहित शबरी माता के आश्रम पर पधारे। इसी तरह यदि  किसी को भगवान प्राप्त होते हैं तो प्रेम से प्रतीक्षा करने पर प्राप्त होते हैं।
Previous Post Next Post